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Hartalika Teej/हरतालिका तीज 2024 पहली बार रख रहे है हरतालिका तीज का व्रत, तो किस प्रकार करें? हरतालिका तीज :सही विधि,सामग्री, शुभ मुहर्त , कथा और महत्त्व 

Hartalika Teej /हरतालिका तीज 2024

celebrating hartalika teej festival

हरतालिका तीज हिन्दुओ का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो विशेष रूप से उत्तर भारत की महिलाएं मनाती हैं। इसे भगवान शिव और देवी पार्वती के पुनर्मिलन के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। यहां मैं आपको हरियाली तीज की सही विधि, समय, पूजन सामग्री, कथा और मुहूर्त के बारे में जानकारी दूंगी। 2024 में हरियाली तीज का मुहूर्त:

Hartalika Teej /हरतालिका तीज 2024

 प्रारंभ: 6 अगस्त 2024 को शाम 07:42 

समापन : 7 अगस्त 2024 को रात 10:00

शादी के बाद पहली बार तीज का व्रत रखने वाली महिलाए किस प्रकार पूजा करें ,आइये जानते है :

पूजन के आवश्यक सामग्री 

Hartalika Teej /हरतालिका तीज पूजा के लिए आवश्यक सामग्री की सूची निम्नलिखित है:

मूर्ति या फोटो : भगवान शिव, देवी पार्वती, और भगवान गणेश की मूर्तियाँ या फोटो ।

पूजा आसन: पूजा करने के लिए स्वच्छ आसन।

कपड़ा: देवी-देवताओं को ओढ़ाने के लिए वस्त्र।

धूप और दीप: धूप बत्ती और दीपक पूजा के लिए।

घी और बाती: दीपक के लिए घी और बाती।

पंचामृत: दूध, दही, शहद, घी, और चीनी।;}:

चंदन: भगवान को तिलक करने के लिए चंदन।

रोली और कुमकुम: तिलक और पूजा के लिए।

अक्षत: बिना टूटे चावल।

फूल और माला: पूजा के लिए ताजे फूल और माला।

फल: ताजे फल जैसे केले, सेब आदि।

नारियल: एक नारियल।

पान और सुपारी: पान के पत्ते और सुपारी।

सिंदूर और मेंहदी: सिंदूर और मेंहदी, जो विशेष रूप से तीज के लिए महत्वपूर्ण हैं।

मिठाई: प्रसाद के रूप में मिठाई, जैसे लड्डू, पेड़ा आदि।

पानी: अभिषेक और आचमन के लिए।

पूजा थाल: पूजा की सभी सामग्री रखने के लिए थाल।

गंगाजल: शुद्धिकरण के लिए।

चौकी: भगवान की मूर्तियाँ रखने के लिए।

विशेष सामग्री

सुगंधित वस्त्र: पूजा के दौरान पहनने के लिए।

मेहंदी और चूड़ियाँ: महिलाएं इस दिन मेहंदी लगाती हैं और चूड़ियाँ पहनती हैं।

झूला: तीज का पर्व झूला झूलने का प्रतीक है, इसलिए अगर संभव हो तो झूला लगाएं।

/पूजा को सही और पारंपरिक तरीके से करने के लिए ये सारी सामग्री महत्वपूर्ण है। आप अपने सामर्थ्य और सुविधा के अनुसार सामग्री में बदलाव कर सकते हैं।

स्नान और शुद्धिकरण: सबसे पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें और सोलह श्रृंगार कर आप तैयार हो जाये । घर के मंदिर या पूजा स्थल को साफ कर और सजा ले।

Hartalika Teej /हरतालिका तीज 2024 पूजा सामग्री एकत्रित कर ले : पूजा के लिए धूप, दीप, फूल, नारियल, मिठाई, चंदन, रोली, चावल, पानी, और फल जैसी वस्तुओं का एकत्रित करें।

भगवान शिव पार्वती और उनके परिवार कि मूर्ति या फोटो स्थापित कर ले। इन्हे वस्त्र धारण करवाए (कच्चा धागा भी समर्पित कर सकते है )।

गणेश पूजा: पूजा की शुरुआत गणेश भगवान की आराधना से करें। उन्हें रोली, चावल, और फूल अर्पित करें।

शिव-पार्वती की पूजा: इसके बाद भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करें। उन्हें बेलपत्र, दूध, जल, और मिठाई अर्पित करें।

पूजा के बाद हरियाली तीज की कथा सुनें और भजन गाएं।अंत मे 

पूजा की समाप्ति पर आरती करें और प्रसाद बांटें।

हरतालिका तीज का समय और मुहूर्त

हरियाली तीज श्रावण महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह त्योहार मॉनसून के दौरान आता है, जो हरियाली और प्रकृति की सुंदरता का प्रतीक है।

Hartalika Teej /हरतालिका तीज 2024

विशेष ध्यान देने योग्य बातें

व्रत के दिन आपको निर्जला व्रत रखना हैं।इस दिन झूला झूलना और लोकगीत गाना शुभ माना जाता है।व्रतधारी को सोलह श्रृंगार कर खूब सज संवर कर व्रत पूजन करनी चाहिए।

हरियाली तीज महिलाओं के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे अपने सुहाग के सुख-समृद्धि  और खुशहाल गृहस्थ जीवन की कामना करते है।

Hartalika Teej /हरतालिका तीज 2024

हरियाली तीज की कथा का विशेष महत्व है, क्योंकि यह भगवान शिव और देवी पार्वती के प्रेम और पुनर्मिलन की कहानी है। यह कथा सुनने और सुनाने का रिवाज तीज के दिन विशेष रूप से प्रचलित है। आइये दोस्तों, इस कथा को सुनते है।

बहुत समय पहले हिमालय पर्वत पर राजा हिमालय और रानी मैना निवास करते थे। उनकी एक पुत्री थी, जिसका नाम पार्वती था। पार्वती जी ने बचपन से ही भगवान शिव को अपना पति मान लिया था और उनसे विवाह करने की इच्छा जताई । इसके लिए उन्होंने कठोर तपस्या शुरू की।

पार्वती जी की तपस्या बहुत कठिन थी। उन्होंने कई वर्षों तक कठोर व्रत और तपस्या की, जिसमें उन्होंने भोजन और जल का त्याग कर दिया। इस दौरान उन्होंने निरंतर भगवान शिव का ध्यान किया और उनकी आराधना की। देवी पार्वती के इस समर्पण और भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और उनकी तपस्या को स्वीकार किया।

भगवान शिव ने देवी पार्वती से कहा कि वे उनकी तपस्या से बहुत प्रसन्न हुए हैं और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करते हैं। इस प्रकार भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह संपन्न हुआ। इस विवाह से समस्त देवता और ऋषि-मुनि भी प्रसन्न हुए।

इस कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सच्ची भक्ति और समर्पण से भगवान को प्रसन्न किया जा सकता है और हर कठिनाई को पार किया जा सकता है। हरियाली तीज का पर्व इसी प्रेम और भक्ति का प्रतीक है, जिसे महिलाएं विशेष रूप से अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए मनाती हैं।

यह कथा सुनने और सुनाने से व्रतधारी महिलाओं को शक्ति और प्रेरणा मिलती है, जिससे वे अपने जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना दृढ़ता और धैर्य से कर सकें।

Hartalika Teej /हरतालिका तीज 2024

किसी भी व्रत का हिन्दू धर्म मे एक अपना अनोखा ही महत्व है,यह एक प्रकार का तपस्या और आत्म-अनुशासन है, जो भक्ति, और आत्म-संयम के माध्यम से ईश्वर के प्रति श्रद्धा और आस्था को व्यक्त करता है। व्रत का महत्व विभिन्न दृष्टिकोणों से देखा जा सकता है:

1. धार्मिक महत्व

भगवान की कृपा प्राप्ति: व्रत रखने का मुख्य उद्देश्य भगवान की कृपा प्राप्त करना है। यह माना जाता है कि व्रत से भक्त की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-शांति आती है।

पापों का नाश: व्रत के दौरान आत्म-अनुशासन और संयम के कारण व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं और वह आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करता है।

2.सांस्कृतिक महत्व

परंपराओं का पालन: व्रत धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का हिस्सा हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलते आ रहे हैं। इन परंपराओं का पालन सांस्कृतिक को संजोने का एक तरीका है।

समाज में एकता: व्रत और त्यौहारों के अवसर पर समाज में सामूहिकता और एकता  भी देखने को मिलता है।

3. स्वास्थ्य संबंधी लाभ

डिटॉक्सिफिकेशन: व्रत शरीर को विषैले तत्वों से मुक्त करने का एक माध्यम है। इससे पाचन तंत्र को आराम मिलता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।व्रत से वजन नियंत्रण में भी मदद मिलती है और शरीर के अनावश्यक चर्बी को कम करने में सहायता मिलती है।

4. नैतिक और मनोवैज्ञानिक लाभ

आत्म-संयम: व्रत से आत्म-संयम और अनुशासन की भावना का विकास होता है। व्रत के दौरान सकारात्मक सोच और समर्पण की भावना का विकास होता है, जिससे जीवन में सकारात्मकता आती है।

व्रत एक समर्पण और विश्वास का प्रतीक है, जो भौतिक और आध्यात्मिक जीवन में संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। यह व्यक्ति को न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बल्कि शारीरिक और मानसिक दृष्टिकोण से भी सुदृढ़ बनाता है।

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